इस लेख में लेखक बता रहे हैं कि स्कूल के बाहर बच्चों का जीवन कैसा होता है और क्या स्कूल में सीखी बातें असल ज़िंदगी से जुड़ती हैं। साथ ही, वे ‘मेरा गाँव मेरी दुनिया’ पहल के ज़रिए यह दिखा रहे हैं कि कैसे बच्चे और युवा अपने समुदाय से जुड़कर गाँव के विकास में भाग ले सकते हैं।