रीड अलाउड: बच्चों की भाषा, सोच, अभिव्यक्ति और कल्पनाशक्ति को विकसित करने का माध्यम
रीड अलाउड गतिविधि बच्चों के लिए कहानियों की दुनिया खोलती है। यह उनकी भाषा, कल्पना, सुनने, बोलने और सोचने की क्षमता को विकसित करने के साथ-साथ सीखने की रुचि भी बढ़ाती है।

रीड अलाउड एक ऐसी गतिविधि है जिसमें लाइब्रेरी एजुकेटर, शिक्षक या फिर कोई बच्चा किसी किताब को ज़ोर से पढ़ता है और बाकी बच्चे उसे ध्यान से सुनते हैं। इसका उद्देश्य बच्चों में सुनने, समझने और सोचने की क्षमता को बढ़ाना होता है। यह गतिविधि बच्चों को भाषा से जोड़ती है और उनमें पढ़ने के प्रति रुचि विकसित करती है। यह बच्चों की पढ़ने की क्षमता और उनके पढ़ने के प्रवाह को बढ़ाने में सहायक होती है। यह उन्हें नए शब्दों से परिचित कराती है, जिससे उनका शब्द भण्डार समृद्ध होता है। साथ ही, यह गतिविधि उनकी भाषा की समझ, उच्चारण, और साक्षरता के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। भाषा शिक्षण के अलावा रीड अलाउड से बच्चों को अपनी भावनाओं को व्यक्त करने और आलोचनात्मक (Critical) सोच को विकसित करने का भरपूर मौका मिलता है।
इस गतिविधि के प्रत्येक चरण में जब बच्चों को बोलने का विशेष अवसर दिया जाता है, तो वे कहानी को लेकर अपने विचारों को तो साझा करते ही हैं, साथ ही अपने निजी अनुभवों को भी व्यक्त करते हैं। इस प्रक्रिया में वे अपने आसपास की चीज़ों को समझने और उन पर तर्क करने की दिशा में सोच पाते हैं। यह गतिविधि कक्षा में मूल्य-आधारित वातावरण को भी बढ़ावा देती है, जिससे बच्चों में एकता, समानता, एक- दूसरे की मदद करने और संवेदनशीलता जैसे गुण विकसित होते हैं।
रीड अलाउड क्यों ज़रूरी है? — एक एजुकेटर का अनुभव
पुस्तकालय के सत्र के दौरान एक लाइब्रेरी एजुकेटर ने रीड अलाउड के सत्र से जुड़ा हुआ अपना एक अनुभव साझा किया। उन्होंने बताया कि जब वे विद्यालय में सत्र ले रही थीं, तो उन्होंने एक ऐसे बच्चे को देखा जो अत्यन्त संकोची था और सत्र के दौरान डरा-सहमा रहता था। वह न केवल बोलने से डरता था, बल्कि सत्र के दौरान काँपता भी रहता था। जब उससे कोई प्रश्न पूछा जाता, तो वह कोई उत्तर नहीं देता था। वह चुपचाप बैठा रहता था।
हालाँकि, जैसे ही रीड अलाउड को विस्तार देने वाली गतिविधि (Extension Activity) का चरण आया, उस बच्चे का एक अलग ही रूप देखने को मिला। उसने पूरी सहजता और रचनात्मकता से चित्रों के द्वारा अपने आप को प्रस्तुत किया। यह देखकर यह स्पष्ट हुआ कि विस्तार देने वाली गतिविधियाँ उन बच्चों के लिए एक सशक्त मंच बनती हैं, जो समूह में बोलने में झिझकते हैं। विस्तार देने वाली गतिविधियोँ का मुख्य उद्देश्य यही होता है कि बच्चे बोलकर, चित्र बनाकर, लिखकर या किसी भी रचनात्मक तरीके से खुद को अभिव्यक्त कर सकें।
धीरे-धीरे उस बच्चे के साथ संवाद और सहभागिता को बढ़ाया गया, जिससे धीरे-धीरे उसका आत्मविश्वास बढ़ा। आज वह बच्चा न केवल सत्रों में सक्रिय रूप से भाग लेता है, बल्कि खुलकर अपनी बात रखता है और दूसरों से संवाद भी करता है।
यह अनुभव इस बात को रेखांकित करता है कि बच्चे रीड अलाउड की प्रक्रिया से धीरे-धीरे जुड़ पाते हैं और इससे उन्हें अपने तरीके से खुद को अभिव्यक्त करने का अवसर मिलता है। वास्तव में, यह गतिविधि समता का सजीव उदाहरण प्रस्तुत करती है, जहाँ सभी बच्चे एक समान मंच पर होते हैं। वे एक-दूसरे के साथ मिलकर सीखते हैं और सहयोग की भावना विकसित करते हैं।
रीड अलाउड की गतिविधि न केवल बच्चों के लिए मज़ेदार होती है, बल्कि यह संचालनकर्ता को भी सीखने और बच्चों को समझने का पूरा अवसर देती है। जब चाइल्ड-सेंट्रिक अप्रोच की बात की जाती है, तो यह गतिविधि बहुत सहायक सिद्ध होती है। इस गतिविधि के दौरान हमें प्रत्येक बच्चे के बारे में, उनके सीखने और समझने के और खुद को अभिव्यक्त करने के तरीकों को समझने का अवसर मिलता है।
रीड अलाउड से पहले हमारी निम्नलिखित तैयारियाँ होनी चाहिए:
- किताबों का चयन
- किताब बार-बार पढ़कर पढ़ने का अभ्यास करना (कम से कम 10 से 12 बार ज़ोर-ज़ोर से बोलकर पढ़ना)
- सत्र का अभ्यास करना और अभ्यास के दौरान समय का विशेष ध्यान रखना
- अभ्यास के पश्चात अपने साथियों से फीडबैक लेना
- किताब में आने वाले कठिन शब्दों की पहचान करना
- पाठकों को ध्यान में रखते हुए सत्र के दौरान उपयोग होने वाली सभी सामग्रियों की उचित व्यवस्था करना
रीड अलाउड के लिए उपयुक्त किताबों का चयन काफी अहम होता है। रीड अलाउड के लिए किताबों का चयन करते समय हमें निम्नलिखित बिन्दुओं को ध्यान में रखना चाहिए ।
- किताबों का चयन करने से पहले यह तय कर लेना आवश्यक है कि हम बच्चों के साथ किस विषय या मुद्दे पर चर्चा करना चाहते हैं।
- रीड अलाउड के हमारे सत्र का उद्देश्य क्या है? क्या कहानी हमारे सत्र के उद्देश्य से जुड़ी हुई है?
- क्या हमारे सत्र का उद्देश्य जानकारी-आधारित पठन है या फिर हम बच्चों को सौन्दर्यात्मक पठन का अनुभव प्रदान करना चाहते हैं?
- हम रीड अलाउड का उद्देश्य क्यों तय कर रहे हैं?
- बच्चों की उम्र, समझ के स्तर और उनकी रुचि को ध्यान में रखते हुए किताबों का चयन किया जाना चाहिए।
- कहानी की लेखन शैली (कहानी की संरचना, उतार-चढ़ाव, परिवेश, समस्या समाधान) और उसकी लम्बाई पर ध्यान देना चाहिए।
- कहानी में चित्रों की भूमिका –
- क्या चित्र स्पष्ट हैं?
- चित्रों में बहुत अधिक गहराई या बारीकियाँ तो नहीं हैं?
- क्या चित्र और कहानी का मेल सही बैठता है?
- क्या चित्र बच्चों को संवाद करने और कल्पना करने का अवसर देते हैं?
उपरोक्त सभी बिन्दु रीड अलाउड के लिए किताबों के चयन में सहायक होंगे और इसे और अधिक प्रभावी बनाएँगे।
हम अपने पुस्तकालय के सत्र, जो कि वार्षिक कैलेंडर के अनुसार डिज़ाइन किए जाते हैं, के लिए किताबों का चयन कैसे करते हैं इसे हम एक उदाहरण की मदद से समझने का प्रयास करेंगे। पुस्तकालय के हमारे सत्रों में बच्चों को वर्षभर विभिन्न थीम्स के माध्यम से किताबों से जोड़ा जाता है। जब ‘हमारा समाज’ थीम के तहत बच्चों के साथ कार्य किया जा रहा था, तब एक प्रमुख उद्देश्य यह था कि छोटे बच्चों में जेंडर को लेकर प्रारम्भिक समझ विकसित की जाए। वे अपने आसपास की दुनिया को इस दृष्टिकोण से देखना और विश्लेषण करना सीखें।
अब हम रीड अलाउड प्रक्रिया के विभिन्न चरणों की ओर बढ़ेंगे और प्रत्येक चरण पर विस्तार से चर्चा करेंगे ।
पहला चरण: रीड अलाउड से पहले की गतिविधि
रीड अलाउड का यह चरण अत्यन्त प्रभावी होता है। इस चरण में बच्चों को पुस्तक के विषय से जोड़ने के लिए एक उपयुक्त माहौल बनाया जाता है, ताकि जब रीड अलाउड किया जाए तो बच्चे सन्दर्भ से परिचित हों और कहानी को बेहतर समझ सकें। इस प्रक्रिया के माध्यम से उनकी जिज्ञासा बढ़ती है, और वे सुनने के लिए पूरी तरह सक्रिय हो जाते हैं। इसका उद्देश्य यह भी होता है कि सभी बच्चे पुस्तक के विषय पर सोच पाएँ और रीड अलाउड के दौरान विषयवस्तु से गहराई से जुड़ सकें। इस चरण में बच्चों को कहानी में आने वाले कठिन शब्दों से भी परिचित करवाया जाता है।

फोटो क्रेड़िट्: लाइब्रेरी एजुकेटर रीमा कुमारी के सौजन्य से
दूसरा चरण: रीड अलाउड के दौरान की गतिविधि
इस चरण में हम कहानी को केवल ज़ोर से नहीं पढ़ते, बल्कि उसे भावनात्मक रूप से भी प्रस्तुत करते हैं। पढ़ने के दौरान कहानी की घटनाओं के अनुसार हमारे चेहरे के हाव-भाव और आवाज़ में उतार-चढ़ाव होता है, ताकि बच्चे कहानी को ध्यान से सुनें और उसमें डूब सकें।
इसके अलावा, कहानी के दौरान बच्चों की जिज्ञासा बढ़ाने के लिए उनसे सवाल पूछे जाते हैं। ये सवाल ऐसे होते हैं, जो उनके सोचने और कल्पना करने की क्षमता को प्रेरित करें।
किताब पढ़ते समय यह ध्यान रखना आवश्यक है कि किताब बच्चों की ओर हो, ताकि वे चित्रों को देख सकें और कहानी से जुड़ सकें। साथ ही, हमारे हाथ की उँगलियाँ लिखे हुए शब्दों पर होनी चाहिए, जिससे बच्चे पढ़ने की प्रक्रिया को समझ सकें और शब्दों से परिचित हो सकें।

फोटो क्रेड़िट्: लाइब्रेरी एजुकेटर रीमा कुमारी के सौजन्य से
तीसरा चरण: रीड अलाउड के पश्चात की चर्चा
कहानी पढ़ने के पश्चात बच्चों के साथ होने वाली चर्चा दो प्रकार के प्रश्नों पर आधारित होती है ।
1. पाठ-आधारित प्रश्न: ये प्रश्न सीधे कहानी के भीतर के तत्वों से जुड़े होते हैं। इनका उद्देश्य बच्चों को कहानी की गहराई से समझ दिलाना होता है। ऐसे प्रश्नों के माध्यम से हम बच्चों को कहानी के पात्रों, घटनाक्रम, संरचना, भाषा, परिवेश (Context), समस्या-समाधान जैसे पहलुओं से जोड़ते हैं। इससे बच्चों की पाठ को समझने की क्षमता, अवलोकन शक्ति और याद रखने की दक्षता विकसित होती है।
2. सोच-आधारित प्रश्न: इन प्रश्नों का उद्देश्य बच्चों को गहराई से सोचने, कल्पना करने और अपने अनुभवों को कहानी से जोड़ने के लिए प्रेरित करना होता है। इस प्रकार के प्रश्न बच्चों को उनके अपने सामाजिक-सांस्कृतिक सन्दर्भ को ध्यान में रखते हुए सोचने का अवसर देते हैं। इन प्रश्नों के उत्तर में बच्चों की सोच, कल्पना, अनुभव, मूल्य और उनके दृष्टिकोण उभरकर आते हैं। इससे उनकी आलोचनात्मक सोच और संवेदनशीलता विकसित होती है।
चौथा चरण: रीड अलाउड को विस्तार देने वाली गतिविधियाँ
रीड अलाउड की सबसे महत्वपूर्ण प्रक्रिया इसे विस्तार देने वाली गतिविधियाँ होती हैं। ये गतिविधियाँ पूरी तरह से बाल केन्द्रित होती हैं। रीड अलाउड के अन्य हिस्सों में सभी बच्चों को बोलने का अवसर नहीं मिल पाता, कुछ बच्चे अधिक बोलते हैं जबकि कुछ चुप रह जाते हैं। लेकिन इनमें हर बच्चे को अपनी बात कहने, अनुभव साझा करने और रचना करने का पूरा अवसर देती है। इसमें बच्चे बोलकर, लिखकर या चित्र बनाकर अपनी बात साझा कर सकते हैं।
इस दौरान हम हर बच्चे के काम को ध्यानपूर्वक देखते हैं। इससे हमें न केवल यह समझने का अवसर मिलता है कि उन्होंने क्या सीखा, बल्कि उनके भावनात्मक पक्ष और व्यक्तिगत अनुभवों को भी जानने का मौका मिलता है।

फोटो क्रेड़िट्: लाइब्रेरी एजुकेटर अन्तिमा और आँचल के सौजन्य से
निष्कर्ष
रीड अलाउड बच्चों की भाषा, सोच, कल्पनाशक्ति और अभिव्यक्ति को विकसित करने वाली एक प्रभावशाली और समावेशी गतिविधि है। यह बच्चों को सीखने की प्रक्रिया से धीरे-धीरे जोड़ती है और उन्हें सुरक्षित माहौल में खुद को व्यक्त करने का अवसर देती है। यह विशेष रूप से उन बच्चों के लिए सहायक सिद्ध होती है जो समूह में बोलने में संकोच करते हैं।
इस प्रक्रिया में किताबों का चयन, प्रस्तुति का तरीका, प्रश्नों के माध्यम से चर्चा और विस्तार देने वाली गतिविधियाँ, सभी से बच्चों की भागीदारी को बढ़ावा मिलता है। विस्तार देने वाली गतिविधि बच्चों को रचनात्मक रूप से सोचने, अनुभव साझा करने और अपने भावनात्मक पक्ष को व्यक्त करने का एक खुला मंच प्रदान करती है। रीड अलाउड केवल एक पढ़ने की गतिविधि नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा सशक्त माध्यम है जिससे बच्चों में समता, सहभागिता और सहयोग की भावना विकसित होती है। साथ ही, इससे संचालनकर्ताओं को बच्चों को बेहतर समझने और उनके साथ एक भरोसेमंद रिश्ता बनाने का अवसर भी प्राप्त होता है।


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