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Sushil Shukla

Sushil Shukla

सुशील शुक्ल: पैदल चलने के शौकीन सुशील शुक्ल स्कूल और कॉलेज में विज्ञान के छात्र रहे हैं। हिन्दी साहित्य से विश्वविद्यालय की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने काफी सालों तक एकलव्य फाउंडेशन द्वारा प्रकाशित पत्रिका चकमक का सम्पादन किया। सुशील ने अपनी अनोखी भाषा व अनोखे अन्दाज़ के साथ बच्चों के लिए कई किताबें लिखी हैं। इन दिनों वे जी-जान से ‘एकतारा’ बाल साहित्य एवं कला केन्द्र को विकसित करने में जुटे हैं। साइकिल और प्लूटो पत्रिका उनके इसी काम का हिस्सा हैं।

Articles by Sushil Shukla

बोलो-क्या-खुला-क्या-बन्द

Practices

सम्पादक की नज़र खुली होनी चाहिए

By Sushil Shukla, Harshal Korhale | २५ सितंबर २०२५

प्लुटो-पत्रिका

Practices

‘बच्चे नहीं समझते’, यह सिर्फ बड़ों की सोच है

By Sushil Shukla, Harshal Korhale | ५ सितंबर २०२५